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सरस्वती घनाक्षरी




सरस्वती घनाक्षरी

     वर्ण 8 9 8 9

    17/17 पर यति

   अंत 3 लघु


धीर-वीर बन बढ़ो, अधीरता को त्याग कर;

प्रासाद नित्य गाड़ दो,सुधीरता की नींव पर।


शंखनाद नित्य कर, अकर्म भाव त्यागकर;

चलो बढ़ो परिश्रमी, सुकर्म को सकार कर।


सत्यव्रत रखो सदा, सुसत्यता का जाप कर;

सत्य राह नित्य गह,सदैव सत्य बोल कर।


सदा डरो कुकर्म से, कुकर्म ही विनाश घर;

सत्य कर्मनिष्ठ हो, चलो सुपंथ मित्रवर।


प्रेम मार्ग नित्य गह, नहीं किसी से द्वेष कर;

 इस पवित्र पन्थ को, गहो सदा विचार कर।





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2 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:57 PM

👍👍🌺

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Mahendra Bhatt

25-Jan-2023 08:32 AM

Nice

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